रंगो के त्यौहार होली पर काव्य के रंगों में सराबोर हुए श्रोता

सहारनपुर। रंगों और उल्लास के प्रतीक होली पर्व के पावन अवसर पर 'होली के रंग कवियों के संग शीर्षक से कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें कवियों ने अपनी कविताओं के रंगों में श्रोताओं को सराबोर किया।



मंगलौर चौकी के निकट स्थित सभागार में हुए कवि सम्मेलन का उद्घाटन समाजसेवी साक्षी बेनिवाल ने फीता काटकर और वरिष्ठ भाजपा नेता राकेश गांगुली ने दीप प्रज्वलित कर किया। शमा रोशन वरिष्ठ समाजसेवी अय्यूब बेग द्वारा की गई। मां सरस्वती को माल्यार्पण मनोज बंसल ने किया। कवि मनोज शाश्वत ने अपने अंदाज में कुछ यूं कहा 'दिन बसंती हो गया हुई फागुन रैन, सतरंगी होने लगे दो शर्मीले नैन' हरि प्रकाश शर्मा ने पढ़ा 'ना तुम्हारी ना हमारी होली सबकी सांझली, सबको भिगोती है यह फागुन की बादली' जयपुर से आई शोभना ऋतु के इस काव्य 'खींचकर पिचकारी बोले कृष्ण मुरारी, राधा रानी आज बचकर कहां जाओगी' ने श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटी।


प्रमोद कुमार प्रेम की कविता 'आतंक, हिसा, द्वेष सब होली संग जल जाएं, अंतस उमड़े प्रेम रस ऐसे रंग बरसाएं' को सभी ने खूब सराहा। इनके अलावा सरिता जैन दिल्ली, विनय प्रताप, बलराज मलिक, प्रांशु जैन, राम शंकर सिंह, मसरूर ताबिश, रितिका थपलियाल ने भी काव्यपाठ किया। अध्यक्षता समाजसेवी राजकिशोर गुप्ता व संचालन विनय प्रताप व सलीम कुरैशी ने किया। मनोज सिघल एड., डा. बीपी सिंह, चौ. ओमपाल सिंह, मा. हनीफ, आदेश चौहान, अरविद कुमार, कुणाल धीमान, महबूब, डा. कल्याण देशवाल आदि मौजूद रहे। अंत में संयोजक गौरव विवेक ने सभी का आभार व्यक्त किया।